11कबीर दोहा - दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय | जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय || Ashir TrivediPro Only
22कबीर दोहा - तिनका कबहुँ ना निंदये, जो पाँव तले होय । कबहुँ उड़ आँखो पड़े, पीर घानेरी होय ॥ Ashir TrivediPro Only
33कबीर दोहा - गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय । बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय ॥ Ashir TrivediPro Only
44कबीर दोहा - साईं इतना दीजिये, जाम े कुटुंब समाये | मैं भी भूखा न रहूँ, साधू न भूखा जाए || Ashir TrivediPro Only
55कबीर दोहा - लुट सके तो लुट ले, हरी नाम की लुट | अंत समय पछतायेगा, जब प्राण जायेगे छुट || Ashir TrivediPro Only
66कबीर दोहा - जाती न पूछो साधू की, पूछ लीजिये ज्ञान | मोल करो तलवार का, पड़ा रहने दो म्यान || Ashir TrivediPro Only
77कबीर दोहा - जहाँ दया तहा धर्म है, जहाँ लोभ वहां पाप | जहाँ क्रोध तहा काल है, जहाँ क्षमा वहां आप || Ashir TrivediPro Only
88कबीर दोहा - धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय । माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥ Ashir TrivediPro Only
99कबीर दोहा - शीलवंत सबसे बड़ा सब रतनन की खान | तीन लोक की सम्पदा, रही शील में आन || Ashir TrivediPro Only
1010कबीर दोहा - माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर । आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर ॥ Ashir TrivediPro Only
1111कबीर दोहा - माटी कहे कुमार से, तू क्या रोंदे मोहे | एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदुंगी तोहे || Ashir TrivediPro Only
1212कबीर दोहा - रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय । हीरा जन्म अमोल सा, कोड़ी बदले जाय ॥ Ashir TrivediPro Only
1313कबीर दोहा - काल करे सो आज कर, आज करे सो अब | पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब || Ashir TrivediPro Only
1414कबीर दोहा - मांगन मरण समान है, मत मांगो कोई भीख | मांगन से मरना भला, ये सतग ुरु की सीख || Ashir TrivediPro Only
1515कबीर दोहा - ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये | औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए || Ashir TrivediPro Only
1616कबी र दोहा - कुटिल वचन सबसे बुरा, जा से होत न चार | साधू वचन जल रूप है, बरसे अमृत धार || Ashir TrivediPro Only
1717कबीर दोहा - जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होए | यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोए || Ashir TrivediPro Only
1818कबीर दोहा - तीरथ गए से एक फल, संत मिले फल चार | सतगुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचार || Ashir TrivediPro Only
1919कबीर दोहा - कामी क्रोधी लालची, इनसे भक्ति न होय | भक्ति करे कोई सुरमा, जाती बरन कुल खोए || Ashir TrivediPro Only